Wednesday, August 26, 2015

प्रत्यय

किसी मूल शब्द के आगे या पीछे जुड़ने वाले अंश को शब्दांश कहते हैं। किसी शब्द के साथ जब कोई शब्दांश जुड़ता है, तो उस शब्द का स्वरुप तो बदलता ही है , साथ ही उसके अर्थ में भी परिवर्तन आ जाता है।

शब्दांश दो प्रकार के होते हैं ==>

1. शब्दों के पहले जुड़ने वाले शब्दांश ==> जो शब्दांश शब्दों के पहले जुड़ते हैं, उन्हें उपसर्ग कहा जाता है।

जैसे ==> प्र + हार = प्रहार ।   

यहाँ ‘प्र’ एक शब्दांश है जो ‘हार’ शब्द के पहले जुड़ा है। इसके जुड़ने से ‘हार’शब्द का स्वरुप बदल गया है तथा उसके अर्थ में भी बदलाव आ गया है। इस प्रकार हम कह सकते है कि.......
उपसर्ग एक ऐसा शब्दांश है जो किसी शब्द के पहले लगकर उसके रुप और अर्थ में परिवर्तन ला देता है। 

2. शब्दों के बाद जुड़ने वाले शब्दांश ==> जो शब्दांश शब्दों के बाद जुड़ते हैं, उन्हेंप्रत्यय कहा जाता है।

जैसे ==> पढ़ (ना) + आई = पढ़ाई ।

यहाँ आई’ एक शब्दांश है जो ‘पढ़’ शब्द के बाद जुड़ा है। इसके जुड़ने से ‘पढ़’शब्द का स्वरुप बदल गया है तथा उसके अर्थ में भी बदलाव आ गया है। इस प्रकार हम कह सकते है कि.......
प्रत्यय एक ऐसा शब्दांश है जो किसी शब्द के बाद में लगकर उसके रुप और अर्थ में परिवर्तन ला देता है। 


प्रत्यय

जो शब्दांश धातु रूप या शब्दों के अंत में लगकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
**शब्दों के साथ प्रत्यय के लग जाने से उस शब्द का स्वरुप तो बदलता ही है साथ ही उसके अर्थ में भी परिवर्तन आ जाता है।

जैसे ==> लिख (ना) + आवट = लिखावट

प्रत्यय के भेद
(क) ==> कृत प्रत्यय
(ख) ==> तद्धित प्रत्यय

(क) - कृत प्रत्यय ==>जो प्रत्यय (शब्दांश) क्रिया के मूल धातु-रूप के साथ लगकर नए शब्दों (संज्ञा और विशेषणों) का निर्माण करते हैं, वे कृत प्रत्यय कहलाते हैं। 
**कृत प्रत्यय के योग से बने शब्दों को ‘कृदन्त-शब्द’ कहा जाता हैं।

जैसे ==> उड़ (ना) + आन = उड़ान ।

यहाँ ‘उड़’ (ना) क्रिया शब्द है जिसके बाद ‘आन’ प्रत्यय जुड़ा है। इसलिए बना हुआ नया शब्द ‘उड़ान’ कृदन्त-शब्द कहलाएगा।


कृत प्रत्यय

1 . कर्तृवाचक कृदन्त प्रत्यय ==> वह प्रत्यय जो किसी शब्द से जुड़कर किसीकार्य करनेवाले अर्थात् कर्ता का बोध कराए, वह कर्तृवाचक कृदन्त प्रत्यय कहलाता है।
**कर्तृवाचक कृदन्त की पहचान ==> अक , अक्कड़ , आक, आकु , आऊ , इका , एरा , ऐया , वाला और वैया आदि प्रत्यय वाले शब्द  कर्तृवाचक कृदन्त होते हैं।

जैसे ==> 
अक ==> चल (ना)  + अक = चालक
अक्कड़ ==> घूम (ना) + अक्कड़ = घुमक्कड़
आक ==> तैर (ना)  + आक = तैराक
आकु ==> लड़ (ना)  + आकु = लड़ाकु
आऊ ==> बिक (ना) + आऊ = बिकाऊ 
इका ==> पाल (ना)  + इका = पालिका 
एरा  ==> लुट (ना)  + एरा = लुटेरा
ऐया ==> भूल (ना)  + ऐया = भुलैया
वाला ==> रख (ना) + वाला = रखवाला
वैया ==> गा  (ना)  + वैया = गवैया

2. कर्मवाचक कृदन्त प्रत्यय ==> वह प्रत्यय जो किसी शब्द से जुड़कर किसी क्रिया के कर्म का बोधक बन जाए कराए अर्थात् कर्म का बोध कराए, वह कर्मवाचक कृदन्त प्रत्यय  कहलाता है।
**कर्मवाचक कृदन्त की पहचान ==> आ ,  आन , आनी , आव , आवा , औती, त , ति , ना और नी आदि प्रत्यय वाले शब्द  कर्मवाचक कृदन्त होते हैं।

जैसे ==>
आ  ==> पूज   + आ   = पूजा
आन ==> लग  + आन  = लगान
आनी ==> कह  + आनी = कहानी
आव ==> कट  + आव  = कटाव
आवा ==> बोल + आवा  = बुलावा
औती ==> फिर + औती  = फिरौती
त   ==> बच  + त    = बचत
ति  ==> ग   +  ति   = गति
ना  ==> खा   +  ना   = खाना
नी  ==> मथ  +  नी   = मथनी

3. करणवाचक कृदन्त प्रत्यय ==> वह प्रत्यय जो किसी शब्द से जुड़कर किसी क्रिया के होने के माध्यम या साधन अर्थात् करण का बोध कराए , वह करणवाचक कृदन्त प्रत्यय  कहलाता है।
**करणवाचक कृदन्त की पहचान ==> अन , आ ,  आवन , आस , औना , आरी , ऊ , न , नी और री आदि प्रत्यय वाले शब्द  करणवाचक कृदन्त होते हैं।

जैसे ==>
अन ==> ढक + अन = ढक्कन
आ  ==> तुल +  आ = तुला
आवन ==> जल + आवन = जलावन
आस ==> निक + आस = निकास
औना ==> खेल + औना = खिलौना
आरी ==> कट + आरी = कटारी
ऊ  ==> झाड़ +  ऊ = झाड़ू
न  ==> बेल +  न  = बेलन
नी ==> फूँक + नी = फूँकनी
री  ==> फाँस +  री = फँसरी

4. भाववाचक कृदन्त प्रत्यय ==> वह प्रत्यय जो किसी शब्द से जुड़कर किसी क्रिया के होने के भाव का बोध कराए , वह भाववाचक कृदन्त प्रत्यय  कहलाता है।
**भाववाचक कृदन्त की पहचान ==> अन, आन ,आप , आवट , आवा, आस, आहट , इयल , ई , न आदि प्रत्यय वाले शब्द भाववाचक कृदन्त होते हैं।

जैसे ==> 
अन ==> खन + अन = खनन
आन ==> उड़ + आन = उड़ान
आप ==> मिल + आप = मिलाप
आवट ==> थकन + आवट = थकावट
आवा ==> पहन + आवा = पहनावा
आस ==> पी  + आस = प्यास
आहट ==> घबरा = आहट = घबराहट
इयल ==> मर + इयल = मरियल
ई  ==> हँस +  ई = हँसी
न  ==> चल + न = चलन

5. क्रियावाचक कृदन्त प्रत्यय ==> वह प्रत्यय जो किसी शब्द से जुड़कर क्रियात्मकता अर्थात् किसी क्रिया के होने का बोध कराए , वह क्रियावाचक कृदन्त प्रत्यय  कहलाता है।
**क्रियावाचक कृदन्त की पहचान ==> अन , आन , आप , आवट ,आवा, आस , आहट , इयल , ई , न आदि प्रत्यय वाले शब्द भाववाचक कृदन्त होते  हैं।

जैसे ==> 
आ ==> लिख + आ = लिखा
एगा ==> कह + एगा = कहेगा
कर ==> थक + कर = थककर
ता ==> जा + ता = जाता
ना ==> बैठ + ना = बैठना
नी ==> हो + नी = होनी
या ==> रो + या = रोया
वा ==> पढ़ + वा = पढ़वा
वाई ==> सुन + वाई = सुनवाई
वाही ==> कार्य + वाही = कार्यवाही

**********************************************************

(ख) - तद्धित प्रत्यय ==> जो प्रत्यय क्रिया अथवा धातु को छोड़कर अन्य शब्दों अर्थात् संज्ञा,सर्वनाम या विशेषण शब्दों के साथ लगते हैं , उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

जैसे ==> समाज + इक = सामाजिक ।

1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय ==> वह प्रत्यय जो किसी शब्द से जुड़कर किसी कार्य करनेवाले अर्थात् कर्ता का बोध कराए, वह कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाता है।
**कर्तृवाचक तद्धित की पहचान ==> आ , आर, इन , एरा , क , कार , गर , ची , दार और वाला आदि प्रत्यय वाले शब्द  कर्तृवाचक तद्धित होते हैं।

जैसे ==> 

आ ==> गोल +  आ = गोला
आर ==> सोना + आर = सुनार
इन ==> सुनार + इन = सुनारिन
एरा ==> लुटना + एरा = लुटेरा
क ==> लेख + क = लेखक
कार ==> कला + कार = कलाकार
गर ==> जादू + गर = जादूगर
ची ==> तोप + ची = तोपची
दार ==> चौकी + दार = चौकीदार
वाला ==> दूध + वाला = दूधवाला

2. भाववाचक तद्धित प्रत्यय ==> वह प्रत्यय जो किसी शब्द से जुड़कर किसी भाव का बोध कराए , वह भाववाचक तद्धित प्रत्यय  कहलाता है।
भाववाचक तद्धित की पहचान ==> आई , आस , आना , आहट , इत , ईना , ता , त्व , पा , ई और पन आदि प्रत्यय वाले शब्द  भाववाचक तद्धित होते हैं।

जैसे ==> 
आई ==> अच्छा + आई = अच्छाई
आस ==> मीठा + आस = मिठास
आना ==> मेहनत + आना = मेहनताना
आहट ==> गरम = आहट = गरमाहट
इत ==> हर्ष + इत = हर्षित
ईना ==> कम +  ईना = कमीना
ता ==> महान + ता = महानता
त्व ==> कवि + त्व = कवित्व
पा  ==> बूढ़ा +  पा = बुढ़ापा
पन ==>  बच्चा + पन = बचपन

3. गुणवाचक तद्धित प्रत्यय ==> वह प्रत्यय जो किसी शब्द से जुड़कर उसका गुण या दोष का बोध कराए , वह गुणवाचक तद्धित प्रत्यय  कहलाता है।
**गुणवाचक तद्धित की पहचान ==> आ , आलु , इल , ईला , ई , ऊ , एलू , ऐल , ऐला और बाज आदि प्रत्यय वाले शब्द  गुणवाचक तद्धित होते हैं।

जैसे ==> 
आ ==> मैल + आ = मैला
आलु ==> दया + आलु = दयालु
इल ==> पंक + इल = पंकिल
ईला ==> ज़हर + ईला = ज़हरीला
ई ==> लालच + ई = लालची
ऊ ==> बाज़ार + ऊ = बाज़ारू
एलू ==> घर + एलू = घरेलू
ऐल ==> गुस्सा + ऐल = गुस्सैल
ऐला ==> विष + ऐला = विषैला
बाज ==> दग़ा + बाज = दग़ाबाज

4. संबन्धवाचक तद्धित प्रत्यय ==> वह प्रत्यय  जो किसी शब्द से जुड़कर उस शब्द को संबन्ध वाचक शब्द बना दे , वह संबन्ध वाचक तद्धित प्रत्यय  कहलाता है।
** संबन्धवाचक तद्धित की पहचान ==> आई , आना , आनी , आल , इक , इन , एरा , ओई , जा और हर आदि प्रत्यय वाले शब्द  संबन्धवाचक तद्धित होते हैं।

जैसे ==> 
आई ==> जम + आई = जमाई 
आना ==> घर + आना = घराना
आनी ==> जेठ + आनी = जेठानी
आल ==> ससुर + आल = ससुराल
इक ==> पितृ + इक = पैतृक
इन ==> नाती + इन = नातिन
एरा ==> मामा + एरा = ममेरा
ओई ==> बहन + ओई = बहनोई
जा ==> भ्रातृ + जा = भ्रातृजा
हर ==> दादा + हर = ददहर

5. उपनाम / व्यवसाय  अथवा जातिवाचक तद्धित प्रत्यय ==> वह प्रत्यय जो किसी शब्द से जुड़कर किसी उपनाम अथवा व्यवसाय की ओर संकेत करे अर्थात् किसी जाति का बोध कराए, वह उपनाम / व्यवसाय  अथवा जातिवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाता है।
** जातिवाचक तद्धित की पहचान ==> अक , आइन , आर , इया , ई , एरा , कार , ची , वाई और वाला आदि प्रत्यय वाले शब्द  जातिवाचक तद्धित होते हैं।

जैसे ==>

अक ==> शिक्षा + अक = शिक्षक 
आइन ==> पंडित + आई = पंडिताई
आर ==> सोना + आर = सुनार
इया ==> गोरखपुर + इया = गोरखपुरिया
ई ==> पंजाब + ई = पंजाबी
एरा ==> ठाठा + एरा = ठठेरा
कार ==> मूर्ति + कार = मूर्तिकार
ची ==> तोप + ची = तोपची
वाई ==> हल + वाई = हलवाई
वाला ==> दूध + वाला = दूधवाला

6. ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय ==> वह प्रत्यय जो किसी शब्द से जुड़कर उसकी ऊनता की ओर संकेत करे अर्थात् उसकी लघुता का बोध कराए, वह ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाता है।
** ऊनवाचक तद्धित की पहचान ==> इया , ई , ऊटा , एली , औड़ी , औरी , ड़ी , नी , री , और ली आदि प्रत्यय वाले शब्द  ऊनवाचक तद्धित होते हैं।

जैसे ==>

इया ==> नाद   + इया = नदिया
ई   ==> घंटा   +   ई = घंटी 
ऊटा ==> काला  + ऊटा = कलूटा
एली ==> हाथ   + एली = हथेली
औड़ी ==> हाथ  + औड़ी = हथौड़ी
औरी ==> निम्ब + औरी = निम्बौरी
ड़ी   ==> पग   +   ड़ी = पगड़ी
नी   ==> छक  +   नी = छकनी
री   ==> कोठा  +   री = कोठरी
ली  ==> मच्छ  +   ली = मछली

7. गणनावाचक तद्धित प्रत्यय ==> वह प्रत्यय  जो किसी शब्द से जुड़कर उस शब्द को संख्या  बोधक अर्थात् गणनावाचक शब्द बना दे , वह गणनावाचक तद्धित प्रत्यय  कहलाता है।
** गणनावाचक तद्धित की पहचान ==> आ , ओं , गुना , तीय , था , रा , वाँ , वीं , वें और हरा आदि प्रत्यय वाले शब्द  गणनावाचक तद्धित होते हैं।

जैसे ==>

आ  ==> पहल +  आ = पहला
ओं  ==> लाख +  ओं = लाखों
गुना ==> दो   + गुना = दोगुना 
तीय ==> द्वि  + तीय = द्वितीय 
था  ==>  चौ  +   था = चौथा
रा   ==> तीस +   रा = तीसरा
वाँ  ==> पाँच  +   वाँ = पाँचवाँ
वीं  ==> आठ  +   वीं = आठवीं
वें   ==>  नौ  +   वें  = नौवें
हरा ==>  दो   +  हरा = दोहरा


                                                     साभार

No comments:

Post a Comment