Wednesday, August 26, 2015

रचना के अनुसार वाक्य के भेद

रचना के अनुसार वाक्य के निम्नलिखित तीन भेद हैं ==>
 
१ - सरल वाक्य ।
२ - संयुक्त वाक्य ।
३ - मिश्र वाक्य ।


१ - सरल वाक्य 
==> जिस वाक्य में केवल एक ही क्रिया हो, वह सरल या साधारण वाक्य कहलाता है।
जैसे==>

 चिड़िया उड़ती है ।  श्रेयांश पतंग उड़ा रहा है ।      गाय घास चरती है ।

२ - संयुक्त वाक्य 
==> जब दो अथवा दो से अधिक सरल या साधारण वाक्य किसी सामानाधिकरण योजक  (और - एवम् - तथा , या - वा -अथवा, लेकिन -किन्तु - परन्तु आदि) से जुड़े होते हैं, तो वह संयुक्त वाक्य कहलाता हैं।
 
जैसे==> 

 (अ) - चन्दन खेल कर आया और सो गया ।

(ब) - मैंने उसे बहुत मनाया परन्तु वह नहीं मानी ।



 (स) - कम खाया करो अन्यथा मोटे हो जाओगे ।




३ - मिश्र वाक्य ==> जब दो अथवा दो से अधिक सरल या संयुक्त वाक्य किसी व्यधिकरण योजक  (यदि...तो , जैसा...वैसा, क्योंकि...इसलिए , यद्यपि....तथापि ,कि आदि ) से जुड़े होते हैं, तो वह मिश्र या मिश्रित वाक्य कहलाता है।
ऐसे वाक्य में एक प्रधान (मुख्य) उपवाक्य और एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं।
 
जैसे ==>


(अ) - यदि अधिक दौड़ोगे तो थक जाओगे।
(ब) -यद्यपि मैंने उसे बहुत मनाया तथापि वह नहीं    माना।


(स) - जैसा काम करोगे वैसा फल मिलेगा।


(द) - क्षितिज ने बताया कि वह पटना जाएगा ।

 

मिश्र या मिश्रित वाक्य के दो भेद होते हैं 
==>

(क) प्रधान  उपवाक्य ==> किसी वाक्य में जो उपवाक्य किसी पर आश्रित नहीं होता अर्थात् स्वतंत्र होता है एवम् उसकी क्रिया मुख्य होती है , वह मुख्य या प्रधान उपवाक्य कहलाता है। 

जैसे==> 

                 मोदी जी ने कहा कि अच्छे दिन आएँगे।

इस वाक्य में ‘मोदी जी ने कहा’ प्रधान उपवाक्य है।

(ख) आश्रित उपवाक्य 
==> किसी वाक्य में जो उपवाक्य दूसरे उपवाक्य पर निर्भर होता है अर्थात् स्वतंत्र नहीं होता है एवम् किसी न किसी व्यधिकरण योजक से जुड़ा होता है , वह आश्रित उपवाक्य कहलाता है।

जैसे==>  


               मोदी जी ने कहा कि अच्छे दिन आएँगे। 
इस वाक्य में ‘अच्छे दिन आएँगे। आश्रित उपवाक्य है।

आश्रित उपवाक्य के तीन भेद होते हैं 
==>
(अ) - संज्ञा आश्रित उपवाक्य ==> किसी वाक्य में जो आश्रित उपवाक्य किसी दूसरे (प्रधान) उपवाक्य की संज्ञा हो अथवा कर्म का काम करता हो , वह संज्ञा आश्रित उपवाक्य कहलाता है।
यह ‘कि’ योजक से जुड़ा रहता है।


जैसे==>
       रामदेव बाबा ने कहा है कि प्रतिदिन योग करना चाहिए। 
इस वाक्य में ‘प्रतिदिन योग करना चाहिए।’ संज्ञा आश्रित उपवाक्य है। क्योंकि यह उपवाक्य ‘कि’ योजक से तो जुड़ा ही है , साथ ही प्रधान उपवाक्य ‘रामदेव बाबा ने कहा है’ के ‘क्या कहा है?’ का जवाब भी है , अर्थात् कर्म भी है। अत: यह संज्ञा आश्रित उपवाक्य है।

(ब) - विशेषण आश्रित उपवाक्य 
==> किसी वाक्य में जो आश्रित उपवाक्य किसी दूसरे (प्रधान) उपवाक्य के संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता हो ,वह विशेषण आश्रित उपवाक्य कहलाता है।
यह ‘जो ,जिस, जिन’ योजकों से आरम्भ होता है।

 
जैसे==>



(अ) - जो दुबला - पतला लड़का है उसे कमज़ोर मत समझो ।

(ब) - जिस लड़के का (जिसका) मन पढ़ाई में नहीं लगता, वह मेरा दोस्त नहीं हो सकता।




(स) - जिन लोगों ने (जिन्होंने) मेहनत किया , वे अवश्य सफल होंगे। 

इन वाक्यों में ‘जो ,जिस जिन’  से आरम्भ होनेवाले उपवाक्य अर्थात् ‘जो दुबला - पतला लड़का है’ , ‘जिस लड़के का (जिसका) मन पढ़ाई में नहीं लगता’ तथा ‘जिन लोगों ने (जिन्होंने) मेहनत किया’ अंशवाले उपवाक्य विशेषण आश्रित उपवाक्य हैं।

(स) - क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य ==> किसी वाक्य में जो आश्रित उपवाक्य किसी दूसरे(प्रधान) उपवाक्य के क्रिया की विशेषता बताता हो , वह क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य कहलाता है।
यह ‘जब , जहाँ, जैसे , जितना’ योजकों से आरम्भ होता है।


जैसे==>



(अ) - जब घटा घिरने लगी , तब मोर नाचने लगा ।


(ब)-जहाँ बस रुकती है,वहाँ बहुत लोग खड़े रहते हैं।

(स)- जैसे ही पाकिस्तान हारा,लोग टीवी तोड़ने लगे ।


(द) - जितना कहा जाय , उतना ही किया करो।



इन वाक्यों में ‘जब , जहाँ, जैसे , जितना’ से आरम्भ होनेवाले उपवाक्य अर्थात् ‘जब घटा घिरने लगी,’ ‘जहाँ बस रुकती है’ , ‘जैसे ही पाकिस्तान हारा’ तथा ‘जितना कहा जाय’ अंशवाले उपवाक्य क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य हैं।       

वाक्य

वाक्य 
शब्दों का ऐसा सार्थक और व्यवस्थित समूह जो किसी भाव या विचार को पूर्णत: प्रकट करता हो, वाक्य कहलाता है। 

 जैसे  ==>                  गौरव पत्र लिखता है।

शब्दों का यह समूह अपेक्षित अर्थ प्रदान कर रहा है , अत: यह वाक्य है।


कर्ता और क्रिया पक्ष के अनुसार वाक्य के  दो अंग हैं ==>
(क) - उद्देश्य ।
(ख) - विधेय ।


(क)- उद्देश्य
==> वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा जाता है,उसे उद्देश्य कहते हैं।
जैसे ==>

 
   १-  बिजली चम - चम चमक रही है। 
==>

 



<==  २- बच्चे शतरंज़ खेल रहे हैं।







 


ऊपर के वाक्यों में ‘बिजली’ और ‘बच्चे’ उद्देश्य हैं; क्योंकि इनके विषय में कुछ कहा गया है।

(ख) - विधेय 
==> उद्देश्य के बारे में जो कुछ भी कहा जाता है, वह सब कुछ विधेय कहलाता है।

जैसे ==>



    १-  बिजली चम - चम चमक रही है ==>

 




          २- बच्चे शतरंज़ खेल रहे हैं   ==>





 
ऊपर के वाक्यों में ‘बिजली’ और ‘बच्चे’ के बारे में क्रमशः ‘चम - चम चमक रही है।’ और 

शतरंज़ खेल रहे हैं।’ कहा गया है, 
अत: ‘चम - चम चमक रही है।’ और ‘शतरंज़ खेल रहे हैं।’ विधेय हैं।

वाक्य को दो आधारों पर बाँटा गया है ==>
(क) अर्थ के आधार पर

(ख) रचना के आधार पर                               



                                                    साभार

अर्थ के आधार पर वाक्य-परिवर्तन

वाक्य के अर्थ में बिना किसी तरह के बदलाव किए उसे एक प्रकार से दूसरे प्रकार के वाक्य में परिवर्तित करना ही वाक्य-परिवर्तन कहलाता है।

(क) - विधानवाचक वाक्य का परिवर्तन==>

जैसे ==>                 मेघा रोटी बनाती है।
 
१ - विधानवाचक वाक्य    ==> मेघा रोटी बनाती है।
२ - आज्ञावाचक वाक्य     ==> मेघा! रोटी बनाओ ।
३ - निषेधवाचक वाक्य     ==> मेघा रोटी नहीं बनाती है।
४ - प्रश्नवाचक वाक्य      ==> क्या मेघा रोटी बनाती है?
५ - विस्मयादिवाचक वाक्य ==> अरे! मेघा रोटी बनाती है।
६ - इच्छावाचक वाक्य     ==> काश! मेघा रोटी बनाती।
७ - संदेहवचक वाक्य      ==> मेघा रोटी बनाती होगी।
८ - संकेतवाचक वाक्य==>यदि मेघा रोटी बनाती तो गोलू भूखा न जाता।
 



(ख) - आज्ञावाचक वाक्य का परिवर्तन ==>
 जैसे ==>              अंश! पढ़ाई करते रहो ।
 
१ - विधानवाचक वाक्य    ==> अंश पढ़ रहा है।
२ - आज्ञावाचक वाक्य     ==> अंश पढ़ाई करते रहो।
३ - निषेधवाचक वाक्य     ==> अंश पढ़ाई नहीं कर रहा है।
४ - प्रश्नवाचक वाक्य      ==> क्या अंश पढ़ रहा है?
५ - विस्मयादिवाचक वाक्य ==> अरे! अंश पढ़ रहा है।
६ - इच्छावाचक वाक्य     ==> काश!अंश पढ़ रहा होता।
७ - संदेहवचक वाक्य      ==> संभवत: अंश पढ़ रहा होगा।
८ - संकेतवाचक वाक्य     ==> अगर अंश पढ़ रहा होता तो प्रथम आता।


(ग) - निषेधवाचक वाक्य का परिवर्तन ==>

जैसे ==>            रोजा शतरंज नहीं खेलती है।
 
१ - विधानवाचक वाक्य    ==> रोज़ा को शतरंज खेलना नहीं आता है।
२ - आज्ञावाचक वाक्य     ==> रोज़ा ! शतरंज मत खेलो।
३ - निषेधवाचक वाक्य     ==> रोजा शतरंज नहीं खेलती है।
४ - प्रश्नवाचक वाक्य      ==> क्या रोजा शतरंज नहीं खेलती है?
५ - विस्मयादिवाचक वाक्य ==> धत् ! रोजा शतरंज नहीं खेलती है।
६ - इच्छावाचक वाक्य     ==> काश ! रोज़ा शतरंज खेलती।
७ - संदेहवचक वाक्य      ==> संभव है रोजा शतरंज नहीं खेलती हो।
८ - संकेतवाचक वाक्य     ==> यदि रोजा शतरंज नहीं खेलती,तो दिमाग तेज                               नहीं होगा।


(घ) - प्रश्नवाचक वाक्य का परिवर्तन ==>

  जैसे ==>            क्या तरन्नुम बाज़ार जाएगी?
 
१ - विधानवाचक वाक्य    ==> तरन्नुम बाज़ार जाएगी।
२ - आज्ञावाचक वाक्य     ==> तरन्नुम ! तुम बाज़ार जाओगी।
३ - निषेधवाचक वाक्य     ==> तरन्नुम बाज़ार नहीं जाएगी।
४ - प्रश्नवाचक वाक्य      ==> क्या तरन्नुम बाज़ार जाएगी?
५ - विस्मयादिवाचक वाक्य ==> ओह ! तरन्नुम बाज़ार जाएगी।
६ - इच्छावाचक वाक्य     ==> काश ! तरन्नुम बाज़ार जाती।
७ - संदेहवचक वाक्य      ==> संभव है तरन्नुम बाज़ार चली गई होगी।
८ - संकेतवाचक वाक्य ==>यदि तरन्नुम बाज़ार जाएगी तो खाना नहीं बनेगा।

 (ङ) - विस्मयादिवाचक वाक्य का परिवर्तन ==>

 
जैसे ==>            अरे ! रोज़ी हिन्दी भी पढ़ लेती है । 

१ - विधानवाचक वाक्य    ==> रोज़ी हिन्दी भी पढ़ लेती है।
२ - आज्ञावाचक वाक्य     ==> रोज़ी ! हिन्दी भी पढ़ो।
३ - निषेधवाचक वाक्य     ==> रोज़ी हिन्दी नहीं पढ़ती है।
४ - प्रश्नवाचक वाक्य      ==> क्या रोज़ी हिन्दी भी पढ़ लेती है?
५ - विस्मयादिवाचक वाक्य ==> अरे ! रोज़ी हिन्दी भी पढ़ लेती है।
६ - इच्छावाचक वाक्य     ==> काश! रोज़ी हिन्दी भी पढ़ लेती।
७ - संदेहवचक वाक्य      ==> संभव है रोज़ी हिन्दी भी पढ़ लेती।
८ - संकेतवाचक वाक्य    ==> यदि रोज़ी हिन्दी भी पढ़ लेती तो उसे यहाँ
                      आसानी होती। 

(च) - इच्छावाचक वाक्य का परिवर्तन ==>
 जैसे ==>           काश ! मैं भी पुस्तकालय में जाता ।
 
१ - विधानवाचक वाक्य    ==> मैं भी पुस्तकालय में जाता हूँ।
२ - आज्ञावाचक वाक्य     ==> मुझे भी पुस्तकालय में जाने दिया जाय।
३ - निषेधवाचक वाक्य     ==> मैं पुस्तकालय में भी नहीं जाता।
४ - प्रश्नवाचक वाक्य      ==> क्या मैं भी पुस्तकालय में जाऊँ?
५ - विस्मयादिवाचक वाक्य ==> आह ! मैं भी पुस्तकालय में जाता।
६ - इच्छावाचक वाक्य     ==> काश ! मैं भी पुस्तकालय में जाता।
७ - संदेहवचक वाक्य      ==> शायद मैं भी पुस्तकालय में जाता।
८ - संकेतवाचक वाक्य==> यदि मैं भी पुस्तकालय में जाता तो ज्ञानी बनता|


(छ) - संदेहवाचक वाक्य का परिवर्तन ==>
जैसे ==>               शायद आज पिताजी आएँगे।
१ - विधानवाचक वाक्य    ==> आज पिताजी आएँगे।
२ - आज्ञावाचक वाक्य     ==> पिताजी ! आज आ आइएगा।
३ - निषेधवाचक वाक्य     ==> आज पिताजी नहीं आएँगे।
४ - प्रश्नवाचक वाक्य      ==> क्या आज पिताजी आएँगे?
५ - विस्मयादिवाचक वाक्य ==> ओह..हो ! आज पिताजी आएँगे।
६ - इच्छावाचक वाक्य     ==> काश ! आज पिताजी आ जाते।
७ - संदेहवचक वाक्य      ==> संभव है आज पिताजी आ जाएँगे।
८ - संकेतवाचक वाक्य     ==> यदि आज पिताजी आएँगे तो हम घूमने जाएँगे।


(ज) - संकेतवाचक वाक्य का परिवर्तन ==> 



जैसे ==>           यदि वर्षा होती तो फ़सल भी होती।
 
१ - विधानवाचक वाक्य    ==> वर्षा होने पर फ़सल भी होती है।
२ - आज्ञावाचक वाक्य     ==> ओ वर्षा ! बरसो ताकि फ़सल भी हो।
३ - निषेधवाचक वाक्य     ==> वर्षा नहीं होने पर फ़सल भी नहीं होती है।
४ - प्रश्नवाचक वाक्य      ==> क्या वर्षा होने पर फ़सल भी होती है?
५ - विस्मयादिवाचक वाक्य ==> अच्छा ! वर्षा होने पर फ़सल भी होती है।
६ - इच्छावाचक वाक्य     ==> काश ! वर्षा होने पर फ़सल भी होती।
७ - संदेहवचक वाक्य      ==> संभव है वर्षा होती तो फ़सल भी होती।
८ - संकेतवाचक वाक्य     ==> यदि वर्षा होती तो फ़सल भी होती।




                                                                                                                 साभार

अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद

वाक्य को दो आधारों पर बाँटा गया है ==>
(क) अर्थ के आधार पर
(ख) रचना के आधार पर
 
 

(क) अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद हैं ==>
१ - विधानवाचक वाक्य ।
२ - आज्ञावाचक वाक्य ।
३ - निषेधवाचक वाक्य ।
४ - प्रश्नवाचक वाक्य ।
५ - विस्मयादिवाचक वाक्य ।
६ - इच्छावाचक वाक्य ।
७ - संदेहवचक वाक्य ।
८ - संकेतवाचक वाक्य ।

१ - विधानवाचक वाक्य 
==> जिस वाक्य में किसी क्रिया के होने की सूचना दी गई हो, वह विधानवाचक वाक्य कहलाता है।
जैसे ==> 

विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
चीनी मीठी होती है।       सूर्य पूरब से उगता है।      दूध उजला होता है।    राम अयोध्या के राजा थे।

२ - आज्ञावाचक वाक्य ==> जिस वाक्य में किसी को आज्ञा , आदेश दिया गया हो अथवा निवेदन या प्रार्थना की गई हो , वह आज्ञावाचक वाक्य कहलाता है। 
 जैसे ==> 

विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’  तुम बैठ जाओ।        कृपया खड़े हो जाइए।       कृपया आप सब शान्त रहें    हे प्रभु ! रक्षा कीजिए।
   
 ३ - निषेधवाचक वाक्य ==> जिस वाक्य में किसी क्रिया के न होने का बोध हो , वह निषेधवाचक वाक्य कहलाता है। 
 जैसे ==> 
विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
अंश विद्यालय नहीं जाएगा।   रात में बिजली नहीं रहती।   उसने बात तक नहीं की।   गोलू पाठ नहीं पढ़ता है।

४ - प्रश्नवाचक वाक्य 
==> जिस वाक्य में किसी से कोई प्रश्न किया जाए , वह प्रश्नवाचक वाक्य कहलाता है। 
 जैसे ==> 

विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’  तुम्हारा नाम क्या है?   क्या आप रायगंज में रहते हैं?  आप क्या खाना पसंद करेंगे?  स्वास्थ्य अब कैसा है?

५ - विस्मयादिवाचक वाक्य 
==> जिस वाक्य में विस्मय आदि के भाव प्रकट हों , वह विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाता है।
जैसे ==> 

विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
  अरे! इतने बड़े हो गए।     अहा! क्या मौसम है।     धत्! मुँह नोच लूँगा ।   हाय! मैं तो डर ही गई।

६ - इच्छावाचक वाक्य 
==> जिस वाक्य में किसी की मनोकामना ,मंगलकामना या आशीर्वाद प्रकट हो , वह इच्छावाचक वाक्य कहलाता है।
 जैसे ==> 

विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
  काश! मेरे भी पंख होते।    आपकी यात्रा मंगलमय हो।   ईश्वर तुम्हें दीर्घायु करे।    नव वर्ष की  बधाइयाँ।

७ - संदेहवचक वाक्य ==> जिस वाक्य में किसी कार्य के होने में संदेह हो , वह संदेहवाचक वाक्य कहलाता है।
 जैसे ==> 

विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
 संभव है आज धूप निकले।   संभवत: मैं जीत जाऊँ।  कदाचित् उसने देखा ही न हो। शायद उसे खबर ही न हो।

८ - संकेतवाचक वाक्य ==> जिस वाक्य में किसी एक क्रिया के होने पर ही दूसरी क्रिया के होने का संकेत हो , वह संकेतावाचक वाक्य कहलाता है।
जैसे ==> 

विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
     जब धूप निकलेगी , तब कपड़े धोएँगे ।           आप होते , तो इतनी परेशानी नहीं उठानी पड़ती।

विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

     यदि तुम बुलाते , तो मैं ज़रूर आता ।               अगर मन लगाकर पढ़ते , तो पास हो जाते।




                                                                          साभार